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साप्ताहिक अखबार की खबर पर बबाल 

मीडिया में नौकर शाही  के विरुद्ध काफी कुछ  लिखा जाता रहता है , पत्रकारिता के गिरते स्टार के बावजूद किसी उच्च अधिकारी के विरुद्ध व्यकितगत टिक टिपणी  नहीं की जाती और यदि हो जाये तो उस पत्रकार को गंभीर परिणाम का सामना करना पड़ता है।  ऐसा ही एक मामला इन दिनों छ ग में हुआ है।  कांकेर से प्रकाशित एक साप्ताहिक अखबार के  जुलाई अंक में राज्य पुलिस के एक उच्च पदाधिकारी के बारे में फ्रंट पेज समाचार प्रकाशित हुआ, प्रकाशित समाचार जनहित का नहीं था , जो कानून का पालन कराते है उन्ही की  व्यक्तिगत  छवि के बारे में स्तरहीन शब्दावली में समाचार प्रकाशन के बाद बवाल तो होना ही था।  जिस अखबार में पुलिस के बारे में  स्तरहीन समाचार छपा  उसका इतिहास ही ऐसा है 2001 -2003 में इसी साप्ताहिक अखबार में राज्य की न्याय पालिका को लेकर काफी कुछ छापा था , यहां तक की एक बार तो इस अखबार में ेकब दैनिक अखबार के  संपादक को अपनी पत्नी का हत्यारा तक कहा गया था , नेताओ के संबंध में तो स्तरहीन छपना आम है।  फिलहाल साप्ताहिक अखबार के बुजुर्ग संपादक बिलासपुर उच्च न्यायालय के वकीलों  का चक्कर काट रहे है और रहत का रास्ता तलाश रहे है।